Tuesday, 25 February 2025

हे अखंड शिव आनंद वेश

 


दिव्य मनोहर आकृति वाले 

श्यामल-गौर का संधि वरण है 

जैसे पतझड़ बसंत मिलते हैं 

अमृत-विष का आज मिलन है।

भावमयी प्रतिमा की माया 

भक्त नेत्रों से रहे निहार 

युगल-चरण की शक्ति साधना 

प्राणों को देते आधार।

हे सर्वमंगले हे प्रकाशपूंज

करते हैं नमन पद में वंदन

हे अखंड शिव आनंद वेश 

कर मोह नाश, कर पाप शमन।

भारती दास ✍️ 

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

1 comment:

  1. जय शिव शंकर, जय माँ गौरी
    सुंदर प्रार्थना !

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