Saturday, 22 February 2025

महाकुंभ ये संवेदन का


करें प्रार्थना हम-सब मिलकर

सुधा सलिला शुभ संगम का

गंगा-यमुना-सरस्वती है 

मोक्ष साधना जन तन मन का।

बूंद बूंद में मिला है अमृत

पान किया जिसने जलकण का

देव से अक्षय दान मिला है 

अजर अमर गंगा पावन का।

अंतस का सब भेद मिटाकर 

आनंद मनाये सौम्य प्रेम का

समदर्शी बनकर आया है 

महाकुंभ ये संवेदन का।

सत्य सनातन झूम रहा है 

छलक उठा है अश्रु नयन का

पुष्प की बारिश मनभावन है 

संत जनों के अभिनंदन का।

प्रयाग राज के पुण्य भूमि पर 

उत्साह चरम है साधू मिलन का

अचरज में है सारा जग ये 

देख समर्पण के दर्शन का।

सिंह नाद के जैसा गरजकर 

लक्ष्य निभाया तरुण धर्म का

श्रद्धा दीप जलाकर निकला 

तोड़ के सारे भ्रम उलझन का।

भारती दास ✍️

Monday, 17 February 2025

स्मृति में शतरंग समाई


स्मृति में शतरंग समाई

स्वर्ण प्रात फिर मुस्काई है 

नवल नेह में बंधे थे आज

रमणी सी रजनी शरमाई है।

तीस बसंत आये जीवन में 

अनगिनत बीती पतझाड़ें

हर्षाई है देख विभावरी

विधु चांदनी की मनुहारें।

अवनी की उन्मुक्त हंसी से 

मगन गगन का मुग्ध नयन है 

मनमोहक अरुणिम सी प्राची

सुंदर सुरभित मनभावन है।

मेरी आंखों की मृदु रातें

मूक मधुर ताने बुनती है 

सजल कपाल को सहलाकर

निज अंकों में भर लेती है।

भारती दास ✍️