हम नत –मस्तक हैं
गणपति जी
क्षमा करो अपराध
मानो इतनी सी ये
बात
हम ......
हे गजानन सुन्दर
सा मन
महिमा तेरी अपार
अति बलशाली
बुद्धि निराली
डूब रहा संसार
एकदंत तुम हो
गणपति जी
दुनिया करो आबाद
मानो इतनी सी ये बात
हम ......
शिव –शक्ति के
बालक हो तुम
कोमल करुना निधान
रिद्धि –सिद्धि
के प्राणपति तुम ,
हरते सब व्यवधान
छवि –सुखदायक हो
गणपति जी
सुनो मेरी फरियाद
मानो इतनी सी ये
बात
हम ....
मंगल कारक
शुभफलदायक,
वाहन मूषकराज
विद्या बुद्धि बल
के दाता
देवों के सरताज
मोदकप्रिय तुम हो
गणपति जी
शुभ वर दे दो आज
मानो इतनी सी ये
बात
हम .........
भारती दास ✍️
आपने भक्ति को इतना साफ-साफ और दिल से लिखा है कि पढ़ते-पढ़ते मन खुद ही गणपति जी के आगे झुक जाता है। मुझे अच्छा लगता है कि आप हर पद में प्रेम, श्रद्धा और एक छोटी-सी विनती को इतने सरल तरीक़े से पकड़ लेते हो। पूरा भाव ऐसे बहता है जैसे कोई अपने ही मन की बात कह रहा हो।
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