Friday 13 September 2013

हिन्दी –दिवस




मैं बस इतना कहना चाहती
हिंदी है मेरे राष्ट्र की भाषा
संविधान ने उसे बनाया
देश और जन –जन की भाषा
मन के अन्दर होती पीड़ा
टूटती है जब दिल की आशा
सहना पड़ता घात हमें 
झेलनी पड़ती है निराशा 
मेघ ही सींचते है सदा
धरती का हर कोना
रंग – रूप कई है फिर भी
है हिन्दुस्तानी सभी ना
अंग्रेजी को गले लगाकर
बेच दिये अपना संस्कार
बलिदानी ने खून बहाया
भूल गए उनका उपकार
संस्कृति की पहचान है हिन्दी
मानवता की शान है हिन्दी
नक़ल करें हम क्यूँ गैरों का
भारत का अभिमान है हिन्दी
अपने घर की बेटी को
थोड़ा सा अपनाना
हरदिन बोलो अंग्रेजी
आज हिन्दी दिवस मनाना .

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