Saturday, 27 November 2021

पद्मश्री दुलारी देवी


अभावों में ही पली बढ़ी

नहीं थी कुछ भी लिखी पढी

मल्लाह परिवार में हुआ जनम

मुश्किलों से होता भरण पोषण

पति नहीं था ससुराल नहीं थी

एक बेटी थी जो जीवित नहीं थी

क़दम कदम पर दर्द व्यथा थी

संघर्षों की वो इक गाथा थी

झाड़ू पोछा छोड़ चली वो

रंगों की कूंची पकड़ चली वो

हाथों में कमाल की जादू था 

लगन संयम मन काबू में था 

गजब की चित्र बनाती थी

वो जिजीविषा बन जीती थी

उनके काम को नाम मिला

पद्मश्री का सम्मान मिला

एक प्रेरणा बनकर उभरी

जाति धर्म से ऊपर निखरी

कला ने दी सुंदर पहचान

बिहार की बेटी है दुलारी नाम.

भारती दास ✍️

22 comments:

  1. कितनी सादगी व सुन्दरता से आपने रच दी यह रचना दुलारी जी के नाम। बहुत बहुत शुभकामनाएं।।।।

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  2. दुलारी देवी को समर्पित सुंदर सराहनीय रचना ।

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    1. धन्यवाद जिज्ञासा जी

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  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 29 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. धन्यवाद यशोदा जी 🙏🙏

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  4. दुलारी जी के जीवन संघर्ष को व्यक्त करती सुंदर रचना

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  5. बेहतरीन रचना

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    1. धन्यवाद अभिलाषा जी

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  6. वाह!लाज़वाब सृजन।
    हार्दिक बधाई।

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  7. धन्यवाद अनीता जी

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  8. सुंदर सराहनीय रचना

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  9. दुलारी की जीवन गाथा को बाखूबी लिखा है ...
    बहुरत ज़रूरी है समाज में इनको सबको मान देना ... पहचान देना ... ये असल प्रेरणा हैं जीवन के ...

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  10. बिहार कि आन मान एवं पहचान
    मधुवनी चित्रकला और दुलारी देवी को
    समर्पित सुन्दर एवं सार्थक रचना । बहुत खुब !

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  11. सुन्दर रचना

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  12. बहुत सुंदर ।भारती की कलम में मानो जादू है।

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  13. धन्यवाद सर,आपकी टिप्पणी से मनोबल बहुत ही ऊंचा हो गया

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