अभावों में ही पली बढ़ी
नहीं थी कुछ भी लिखी पढी
मल्लाह परिवार में हुआ जनम
मुश्किलों से होता भरण पोषण
पति नहीं था ससुराल नहीं थी
एक बेटी थी जो जीवित नहीं थी
क़दम कदम पर दर्द व्यथा थी
संघर्षों की वो इक गाथा थी
झाड़ू पोछा छोड़ चली वो
रंगों की कूंची पकड़ चली वो
हाथों में कमाल की जादू था
लगन संयम मन काबू में था
गजब की चित्र बनाती थी
वो जिजीविषा बन जीती थी
उनके काम को नाम मिला
पद्मश्री का सम्मान मिला
एक प्रेरणा बनकर उभरी
जाति धर्म से ऊपर निखरी
कला ने दी सुंदर पहचान
बिहार की बेटी है दुलारी नाम.
भारती दास ✍️
कितनी सादगी व सुन्दरता से आपने रच दी यह रचना दुलारी जी के नाम। बहुत बहुत शुभकामनाएं।।।।
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteदुलारी देवी को समर्पित सुंदर सराहनीय रचना ।
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा जी
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 29 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
धन्यवाद यशोदा जी 🙏🙏
Deleteदुलारी जी के जीवन संघर्ष को व्यक्त करती सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अभिलाषा जी
Deleteवाह!लाज़वाब सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई।
धन्यवाद अनीता जी
ReplyDeleteसुंदर सराहनीय रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
Deleteदुलारी की जीवन गाथा को बाखूबी लिखा है ...
ReplyDeleteबहुरत ज़रूरी है समाज में इनको सबको मान देना ... पहचान देना ... ये असल प्रेरणा हैं जीवन के ...
धन्यवाद सर
Deleteबिहार कि आन मान एवं पहचान
ReplyDeleteमधुवनी चित्रकला और दुलारी देवी को
समर्पित सुन्दर एवं सार्थक रचना । बहुत खुब !
धन्यवाद सर
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteबहुत सुंदर ।भारती की कलम में मानो जादू है।
ReplyDeleteधन्यवाद सर,आपकी टिप्पणी से मनोबल बहुत ही ऊंचा हो गया
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