BHARTI DAS

Tuesday, 9 December 2025

कण-कण में है मोद का दर्पण

›
  तृण-तृण में सौन्दर्य सुहावन कण-कण में है मोद का दर्पण  क्षमा-दया है जीवन-दर्शन  संस्कृति में है चिर अपनापन उसी पुण्यमयी धरणी का करते हैं आ...
2 comments:
Monday, 24 November 2025

जहाँ धर्म है वहीं विजय है

›
थी धर्मपरायण पुण्यात्मा नारी दुर्योधन-जननी माता गाँधारी उनकी वचन मिथ्या नहीं जाती  सच हो जाता जो वह कहती  माँ के पास सुयोधन आता  विजय प्राप्...
12 comments:
Saturday, 8 November 2025

मुझे गर्व है मैं हूंँ बिहारी

›
  मुझे गर्व है मैं हूँ   बिहारी  माँ ब्राह्मी की मैं हूँ पुजारी .... जिस मिट्टी में पली बढ़ी थी  सेवा-त्याग-अनुराग भरी थी  थी रामप्रिया वो स...
8 comments:
Saturday, 1 November 2025

हे दीनबंधु नरायणम्

›
सरोज नयनम् शेष शयनम् घनाभ तन हे जनार्दन  कर शंख चक्र सुशोभितम् हे दीनबंधु नारायणम्। जय पद्मनाभम् लक्ष्मीकांतम् श्री हरि जय विश्वेम्भरम् हे स...
6 comments:
Thursday, 30 October 2025

अध्यात्म से ही कर्म-जगत है

›
  ऊषा अर्चन-संध्या वंदन प्रतिदिन का है धर्म-आचरण  ईश्वर की पूजा और आराधना  आशपूर्ण आस्था की भावना  आस्तिक करता है विश्वास  धर्म-कर्म और स्वर...
10 comments:
Monday, 20 October 2025

हर्ष-खुशी हो गम या विषाद

›
हर्ष-खुशी हो गम या विषाद  दीपक हरता है तम अवसाद मौन निशा का गहन अँधेरा जैसे निबल हो विकल मन हारा धरणी करती है सम अनुराग  दीपक हरता है तम अवस...
8 comments:
Thursday, 16 October 2025

सीख नई समझाती नदियाँ

›
  बड़े-बड़े पेड़ों का मूल प्रवाह में अपनी बहाती नदियाँ किन्तु बेंत का पतला वृक्ष  नहीं बहा ले जाती नदियाँ। कमजोर समझकर करती उपेक्षा  या उपका...
9 comments:
Thursday, 25 September 2025

मोह छोड़कर जाना होगा

›
नील गगन में घूम रही थी तारों का मुख चूम रही थी  फिर बादल ने आकर बोला  नभ-प्राँगन में रहना होगा  मोह छोड़ कर जाना होगा। मैंने तो देखा था सपना...
6 comments:
Monday, 22 September 2025

हे जगदंब नमन स्वीकारो

›
अरुणिम प्रभात की वेला आई घट सुमंगल सबने सजाई द्वार-द्वार अंबे माँ आई  सुख-सौभाग्य सौगातें लाई। नवल वसन तन शोभित आई केहरि वाहन हर्षित आई  मुख...
4 comments:
Saturday, 13 September 2025

निराकार पूँज में हो साकार

›
किये समाज में नींव की रचना सीख अनमोल सी देकर अपना  निराकार पूँज में हो साकार जो चले गए हैं बादल के पार। हास अधर पर आस नयन में  पाठ सिखाये थे...
6 comments:
›
Home
View web version

About Me

Bharti Das
मेरा नाम भारती दास है ,मै बिहार मधुबनी जिले की रहनेवाली हूँ .पति गुजरात गांधीनगर में कार्य करते है पंद्रह वर्ष से गुजरात में हूँ .फिलहाल एक विद्यालय में काम करती हूँ .
View my complete profile
Powered by Blogger.