करें प्रार्थना हम-सब मिलकर
सुधा सलिला शुभ संगम का
गंगा-यमुना-सरस्वती है
मोक्ष साधना जन तन मन का।
बूंद बूंद में मिला है अमृत
पान किया जिसने जलकण का
देव से अक्षय दान मिला है
अजर अमर गंगा पावन का।
अंतस का सब भेद मिटाकर
आनंद मनाये सौम्य प्रेम का
समदर्शी बनकर आया है
महाकुंभ ये संवेदन का।
सत्य सनातन झूम रहा है
छलक उठा है अश्रु नयन का
पुष्प की बारिश मनभावन है
संत जनों के अभिनंदन का।
प्रयाग राज के पुण्य भूमि पर
उत्साह चरम है साधू मिलन का
अचरज में है सारा जग ये
देख समर्पण के दर्शन का।
सिंह नाद के जैसा गरजकर
लक्ष्य निभाया तरुण धर्म का
श्रद्धा दीप जलाकर निकला
तोड़ के सारे भ्रम उलझन का।
भारती दास ✍️
संगम तट पर साधु समाज के साथ जन-जन का अपार उत्साह देखकर वाक़ई सारा विश्व चमत्कृत हुआ है, अति सुन्दर सृजन !
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
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