Friday, 29 November 2024

पौष माह की शीत घड़ी है


दिन है छोटा रात बड़ी है

पौष माह की शीत घड़ी है....

मदिरा जैसी मादक रजनी

सौंदर्य सजाती जैसी सजनी

ललित लालसा ललक भरी है

पौष माह की शीत घड़ी है।

सूर्यदेव भी देर से आते

मुख पर अपने चादर ओढ़े

अरुणिम प्राची धूंध भरी है

पौष माह की शीत घड़ी है।

पवन बदन को कंपा रहा है

तन गर्माहट ढूंढ रहा है

अंगीठी भी धधक रही है

पौष माह की शीत घड़ी है।

अलसाई अंगराई लेती

शुभ्र प्रकृति सुखदाई लगती

लता गात पर ओस पड़ी है

पौष माह की शीत घड़ी है ।

भारती दास ✍️


3 comments:

  1. वाह शीत ऋतु का मनमोहक वर्णन !

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  2. पोश मॉस को बाखूबी लिखा आपने ... प्रकृति का स्वरुप उतार दिया ...

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