Tuesday, 28 November 2023

हे कोमल करूणाकर स्वामी

 हे ईश्वर करना अनुकंपा

उन सब जीवन को बल देना

क्षण-क्षण पल-पल जूझ रहे हैं

उनके क्रंदन को सुन लेना.

कभी निराशा कभी हताशा

उनकी दृष्टि से हर लेना

संतप्त हृदय को तुष्टि देना

स्वजन स्नेह से भर देना.

अपूर्ण लालसा कसक मिटाना

अधीर कुटीर सुखद कर देना

हास्य विकल मुख पर सजाना

आनंद अति अवलंबन देना.

दुआ यही हरपल सबका है

व्याकुलता मन से हर लेना

हे कोमल करूणाकर स्वामी

पुलकित हर्षित घर कर देना.

भारती दास ✍️

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. वाह!!! बहुत सुंदर।

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  3. आपकी कविता में दर्द भी है, दुआ भी है और इंसानियत के लिए गहरी चिंता भी। सबसे अच्छा मुझे वो हिस्सा लगा जहाँ तुमने कहा कि “संतप्त हृदय को तुष्टि देना” – इसमें एक ऐसी करुणा है जो सबके दुख को अपना बना लेती है।

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