गिला यही है भाग्य विधाता
भाग्य कभी भी साथ न देता....
चलते संग-संग साथ ये सारे
दर्द अनेकों गम बहुतेरे
दृश्य विकट सा मन घबराता
भाग्य कभी भी साथ न देता....
छुप-छुप रहती खुशी कहीं पर
मूंदती आंखें भागती छूकर
नैन विकल बस नीर बहाता
भाग्य कभी भी साथ न देता....
था धीरज और धैर्य का संगम
बढता रहा अब तक ये जीवन
संयम हरपल टूटता जाता
भाग्य कभी भी साथ न देता....
अंत तमस का दूर न होता
आश का सूरज उग न पाता
सांसों से ही हर इक नाता
भाग्य कभी भी साथ न देता.....
भारती दास ✍️