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घन गरजे चपला चमके नभ से छम-छम जल बरसे गाये मस्त पवन मल्हार मधुश्रावणी का त्योहार.... पावस की प्यारी रातें करती चंचल उर गातें दृग में भरते मनुहार मधुश्रावणी का त्योहार.... मेंहदी रचते हाथों में सपने सजते आंखों में प्रियवर का प्रेम-फुहार मधुश्रावणी का त्योहार.... सुहागन करती श्रृंगार गाती मंगलगीत उदार चित्त में उत्साह अपार मधुश्रावणी का त्योहार.... कण-कण में हरियाली है तन-मन में खुशहाली है सावन का ये उपहार मधुश्रावणी का त्योहार..... हर्षित हो करते वंदन गौरी-शंकर की अर्चन भर आंचल में उदगार मधुश्रावणी का त्योहार..... भारती दास ✍️ ('हरियाली तीज' को ही बिहार में ' 'मधुश्रावणी तीज' कहते हैं) |
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार( 24-07-2020) को "घन गरजे चपला चमके" (चर्चा अंक-3772) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।
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"मीना भारद्वाज"
बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 23 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteसार्थक रचना।
ReplyDeleteपावस के इस पर्व की बधाई हो आपको।
बहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteवाह! बेहतरीन सृजन सखी! बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सुजाता जी
Deleteसावन का ये उपहार
ReplyDeleteमधुश्रावणी का त्योहार.....सचमुच हरियाली तीज पर अदभुत कविता
बहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteबढ़िया कविता
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
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ReplyDeleteमधुश्रावणी का त्योहार
घन गरजे चपला चमके
नभ से छम-छम जल बरसे
गाये मस्त पवन मल्हार
मधुश्रावणी का त्योहार....
बहुत अच्छी रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
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