गगन से बरसा मौत अगन
का
तड़ित समाधि बना निर्मम सा
छीन लिया कुंकुम की आभा
रूप सुहागन की सुख शोभा.
शाप ताप की ज्वाला बनकर
कुपित प्रलय दर्शाया भू पर
वज्रपात का विषाद भयंकर
दंड विधान ये कैसा ईश्वर.
मूर्ति से बाहर आ क्षण भर
देखो दशा धरती का पलभर
उजड़ गया कितनों का आंगन
पग-पग विषम हुआ है जीवन.
अश्क पलक में छलक रहे हैं
कुंज में बचपन बिलख रहे हैं
दो अवलंबन संबल स्वामी
शोक क्षोभ हरो अंतर्यामी.
भारती दास ✍️
तड़ित समाधि बना निर्मम सा
छीन लिया कुंकुम की आभा
रूप सुहागन की सुख शोभा.
शाप ताप की ज्वाला बनकर
कुपित प्रलय दर्शाया भू पर
वज्रपात का विषाद भयंकर
दंड विधान ये कैसा ईश्वर.
मूर्ति से बाहर आ क्षण भर
देखो दशा धरती का पलभर
उजड़ गया कितनों का आंगन
पग-पग विषम हुआ है जीवन.
अश्क पलक में छलक रहे हैं
कुंज में बचपन बिलख रहे हैं
दो अवलंबन संबल स्वामी
शोक क्षोभ हरो अंतर्यामी.
भारती दास ✍️