Saturday, 16 November 2019

बिहार विभूति वशिष्ठ नारायण

बिहार विभूति वशिष्ठ नारायण
थे भारत के गणितज्ञ महान
जीवन भर जो रहे तपस्वी
करुण हुआ उनका अवसान.
विदेशों में कीर्ति बिखेर कर
बने विश्व की वे पहचान
जीनियसों के जीनियस कहलाये
पथ अभिशापित क्यों हुआ तमाम.
दुख विभावरी छलना बनकर
अंधकार में लिया समेट
विक्षिप्त हो गये हुये विलीन
दर्द-वेदना की चढ गये भेंट.
आपदाओं की अभिवृष्टि ने
उर को आहत किया अथाह
व्यथा-निराशा कठोर सी पीड़ा
अवशाद-विषाद से उठे कराह.
उनकी दशा पर मेदिनी रोयी
गगन भी शोक मनाता रहा
उखड़ी सांसे स्पंदन टूटा
बेजान थका तन सोता रहा.
थे अलौकिक ज्ञान की मूर्ति
प्रबुद्ध-शुद्ध विराट महान
चिर नमन है उन्हें जगत का
स्मरणीय हो उनका हर काम.

भारती दास



Saturday, 9 November 2019

आज रामजी लौटे हैं घर

आज रामजी लौटे हैं घर

दीप जलाये खुशी मनाये
इक दूजे को गले लगाये
स्वर्ग उतर आया है धरा पर
आज रामजी लौटे हैं घर....
कवि कल्पना में जीते हैं
लेकिन झूठ नहीं कहते हैं
तुलसी के मानस के ईश्वर
आज रामजी लौटे हैं घर....
पुण्य की धारा सदा सी बहती
कोमल शांत कथा सी कहती
विकल नीर बहता था झर-झर
आज रामजी लौटे हैं घर....
प्रेम से पागल हुआ जहां ये
मला अंग में रंग नया ये
रोम-रोम में पुलक है भरकर
आज रामजी लौटे हैं घर....
श्रद्धा है मंदिर-मस्जिद की
जैसे निर्गुण-सगुण की मूर्ति
उत्सव सा आया है अवसर
आज रामजी लौटे हैं घर....
राघव की महिमा है अनंत
दूर हुआ दुर्मति का दंभ
आदर्श रूप मर्यादा सुंदर
आज रामजी लौटे हैं घर.
भारती दास