हे भूतेश्वर हे दिगंबर
तुम सर्वव्यापी नाथ शंकर
सांसों में साकार बसकर
प्राणों में आधार बनकर
करुणा के आगार होकर
दुष्टों को संहार कर-हर
जन पे कर उपकार विषधर
तुम रहो न हास्य बनकर
कर दया अब भक्त-जन पर
नेत्र खोलो हे ज्ञानेश्वर
ये है अवसर हे महेश्वर
देव आओ स्वर्ग तजकर.
HAPPY MAHASHIV RATRI
No comments:
Post a Comment