व्यक्ति वृतियां और व्यवधान
अवरोध बढाती इच्छा तमाम
कदम-कदम पर दुर्गम होता
क्षण-प्रतिक्षण जटिलतम होता
व्यक्ति सब निर्दोष ही होता
दुष्प्रवृति ही सब दोष करता
जबतक वृतियां दूषित-कलुषित है
तबतक व्यक्ति भी संकुचित है
वृति उन्मूलन है आवश्यक
कृति संवर्धन अत्यावश्यक
सृजन-सैनिकों का सामर्थ्य
है व्यापक अनुरूप उत्कर्ष
संधर्ष बिना सौभाग्य कहाँ
प्रतिभा वंचित रहती जहाँ
मनोग्रंथियाँ भरती मन में
कठिनाईयाँ रहती जीवन में
चिंतन-चरित्र भाव-व्यवहार
मानव को है प्रभु का उपहार
नेक सोच वालों से होगा
वृतियों में परिवर्तन शोभा
है अनुरोध विनती पुकार
दुष्प्रवृति बदले करे सुधार
शुरुआत करे अपने जीवन से
वृति हटे और स्नेह हो जन से
व्यक्ति से न हो किनारा
वृतियों से ही समर हमारा .
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