आज की पीड़ा आज की भ्रान्ति
किस तरह से होगी क्रांति
व्यक्ति-व्यक्ति परिवार का मिलकर
सोच-चिंतन में जोश को भरकर
दिल से दिल की आग लगा दे
क्रांतिकारी अलख जगा दे
गन्दी बस्ती गाँव का जर्जर
किस तरह से जीते
मर्मर
लोगों की हालत है बदतर
कौन बनेगा उनका सहचर
वोट-वोटर और संकल्प
ढह गए सारे विकल्प
दागी नेता और परिवार
देश में भर देंगे विकार
अनीति अधर्म और अनाचार
सघन ही होगा भ्रष्टाचार
भक्त प्रह्लाद को था इनकार
निरंकुश शासन का अत्याचार
अपने युग के पथ प्रदर्शक
आदर्श बने है विवेका अबतक
महाभारत का समर सजाकर
लक्ष्य वादे को परे हटाकर
व्यर्थ कार्य में समय लगाकर
नेता जूझते रहते अक्सर
जनसमूह को सोचना होगा
विराट रूप दिखाना होगा
बम पिस्तौल अब नहीं चलेगी
अब विचार से क्रांति होगी
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