Monday, 20 October 2025

हर्ष-खुशी हो गम या विषाद

हर्ष-खुशी हो गम या विषाद 

दीपक हरता है तम अवसाद

मौन निशा का गहन अँधेरा

जैसे निबल हो विकल मन हारा

धरणी करती है सम अनुराग 

दीपक हरता है तम अवसाद....

काली रजनी विचलित करती 

प्राणी सबको विकलित करती

दीपों की लड़ी करती जयनाद 

दीपक हरता है तम अवसाद....

कहीं झोंपड़ी कहीं अटारी

रोशन हो गई धरती सारी

गली-गली में खुशी है आज 

दीपक हरता है तम अवसाद....

भारती दास ✍️ 

8 comments:

  1. आपको भी दिवाली शुभ और मंगलमय हो

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  2. एक दीप मन का एक दीप मंगल का दीपावाली की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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    1. धन्यवाद प्रिया जी

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  3. वाह!! एक दीपक अंतर का सारा तम हर लेता है, शुभ दीपावली

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    1. धन्यवाद अनीता जी

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  4. कविता प्रकाश के गहरे प्रतीक “दीपक” के माध्यम से जीवन के अंधकार, अवसाद और विषाद को दूर करने का सुंदर संदेश देती है। इसमें केवल दीपावली की बाहरी रोशनी नहीं, बल्कि आंतरिक जागृति और सकारात्मकता का भाव झलकता है। और सच है की हर कठिनाई के बाद उजाला संभव है, बस भीतर का दीप प्रज्वलित रखना है।

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