हे सर्वस्व सुखद वर दाता
चिर आनंद जहां पर पाता
हरी भरी सी सुभग छांव में
हंसते गाते सब सहज गांव में
उस मनहर बरगद की छाया
जहां विद्व जन वेद को ध्याया
पतित पावन अति मनभावन
मोक्ष प्रदायक रहते नारायण
जप तप स्तुति धर्म उपासना
योगी यति करते हैं कामना
ब्रह्म देव श्री हरि उमापति
कष्ट क्लेश हरते हैं दुर्मति
यमदेव हर्षित वर देते
आंचल में खुशियां भर देते
सत्यवान ने नव जीवन पाई
मुदित मगन सावित्री घर आई
करती प्रार्थना सभी सुहागिन
वैसे ही सौभाग्य बढ़ती रहे हरदिन.
भारती दास ✍️