गुजरते हैं सुखों के क्षण
दुखों के पल गुजर जाते
समय की तय है सीमायें
सदा वो पल नहीं रहते....
गमों से जो नहीं डरते
सुखों में भी वही जीते
नहीं तो दर्द-पीड़ा-गम
मन झकझोर देते हैं....
ये रिश्ते हैं ये नाते हैं
ये बनते हैं बिगड़ते हैं
कभी देते हंसी में संग
कभी मुंह मोड़ लेते हैं....
जरा सोचें जरा समझें
यही जीवन है ये जानें
देते हैं हमें वो सीख
जो ज्यादा शोर करते हैं....
बहारें ये सिखाती है
पतझड़ भी तो साथी है
जीये हरदम सहज होकर
कठिन जब दौर होते हैं....
गुजरते हैं....
दुखों के....
भारती दास ✍️
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