पल-पल क्षण-क्षण बीत
रहा है
विदा ये अंतिम ले रहा है
खट्टी-मीठी यादें देकर
नम नयन को कर रहा है.
मधुर अतीत बन जाने को है
मृदु इतिहास रच जाने को है
मौन रुप स्मृति में बसकर
उत्सर्ग समस्त कर जाने को है.
नव प्रभात में उत्साह समाये
नव आलोक अनुराग सिखाये
नव तुषार के सघन मिलन से
नव आह्लाद जीवन हर्षाये.
दुआ यही है यही चाह हो
कुंज द्वार पर हंसी अथाह हो
संवरे बचपन हंसे मनुज मन
हर पल मंगलमय प्रवाह हो.
भारती दास ✍️
विदा ये अंतिम ले रहा है
खट्टी-मीठी यादें देकर
नम नयन को कर रहा है.
मधुर अतीत बन जाने को है
मृदु इतिहास रच जाने को है
मौन रुप स्मृति में बसकर
उत्सर्ग समस्त कर जाने को है.
नव प्रभात में उत्साह समाये
नव आलोक अनुराग सिखाये
नव तुषार के सघन मिलन से
नव आह्लाद जीवन हर्षाये.
दुआ यही है यही चाह हो
कुंज द्वार पर हंसी अथाह हो
संवरे बचपन हंसे मनुज मन
हर पल मंगलमय प्रवाह हो.
भारती दास ✍️