Friday, 27 September 2019

हे माधव भादव बरसे मेह


हे माधव भादव बरसे मेह
रजनी गाती गीत सुहानी
पवन जगाते नेह,
हे माधव....
दामिनी दमके गगन ये गरजे
सिहरते कोमल देह,
हे माधव....
प्रेम पुलक है धरती अंबर
हर्षाते उर-गेह,
हे माधव....
झर-झर बहती जल की धारा
रचते छंद ये मेघ,
हे माधव....
भारती दास ✍️