Saturday, 15 June 2019

हे परमपिता


वो छांव थे वो धूप थे
वो सौम्य सुखमय रुप थे
था मोद का नहीं ओर-छोर
सुख वृष्टि था चारों ही ओर
नित दिन सुखद होता था भोर
था स्नेह की मजबूत डोर
मन एक था एक भाव था
सबका सरल स्वभाव था
शंका नहीं बस प्यार था
अनुपम सी नेह दुलार था
खो गये कहां हे परमपिता
वो करूणा भरे प्यारे पिता.

भारती दास


Saturday, 8 June 2019

विद्यालय में बज गई घंटी (बाल-कविता)


विद्यालय में बज गई घंटी
खत्म हुई गर्मी की छुट्टी.....
कभी चौकड़ी भरते मृग से
कभी धूल उड़ाते पग से
गर्मी हमको छू नहीं पाती
सूर्य की ज्वाला जला नहीं पाती
करते थे हम ढेरों मस्ती
खत्म हुई गर्मी की छुट्टी.....
नये हैं जूते नयी पोशाकें
नया बैग है नयी किताबें
नये-नये अब मिलेंगे साथी
करेंगे बातें उन्हें अच्छी
ख़त्म हुई गर्मी की छुट्टी.....
विद्यालय में हम जायेंगे
शिक्षक का कहना मानेंगे
पढ़ना-लिखना हम सीखेंगे
नहीं किसी से अब रुठेंगे
झूठ नहीं कहते हम सच्ची
खत्म हुई गर्मी की छुट्टी.....

भारती दास ✍️ 





Saturday, 1 June 2019

सजल श्याम घन आओ


सजल श्याम घन आओ
सलिल सुधा बरसाओ....
कोमल-कोमल मानव पद-तल
कृषक कार्य करते हैं जल-जल
जन विह्वल कर जाओ
सलिल सुधा बरसाओ....
देखो निहारो इस धरती को
सूख रहे हर ताल नदी को
मृदुल धवल जल लाओ
सलिल सुधा बरसाओ....
वृक्ष रहा है बाट निहार
मुरझाए पत्तियाँ और डार
सकल मही हरषाओ
सलिल सुधा बरसाओ....