Wednesday, 24 October 2018

शरदचंद्र की सुहानी रात


शरदचंद्र की सुहानी रात
लगती प्यारी-मनोहारी आज ....
धवल-चन्द्रिका झूम रही है
हंसी अधर पर गूंज रही है
उजली-उजली ये नशीली रात
लगती प्यारी-मनोहारी आज ....
शुद्ध शीतल निष्पाप चाँदनी
शांत सुभग सौन्दर्य मोहिनी
लेती समेत कर्कश विषाद
लगती प्यारी-मनोहारी आज ....
स्निग्ध प्रेम की सौम्य सी धारा
हरती है व्याकुल सी पीड़ा
राधा-रमण की सुखभरी रात
लगती प्यारी-मनोहारी आज ....
धरा-गगन की मूक मनुहार
एक-दूजे को रहे निहार
ह्रदय से होती ह्रदय की बात
लगती प्यारी-मनोहारी आज ....
तृष्णा भरे थके नयन में
श्रम वेदना भूलते क्षण में
हर्षित मुदित है मन और गात
लगती प्यारी-मनोहारी आज