सदमय बसंत मदमय बसंत
आया वही मधुमय बसंत
पेड़ों पर पत्ते डोलते
नव गात से मन मोहते
उर में उमंगें है भरे
तनमन ख़ुशी से झूमते,
नवमय बसंत मुदमय बसंत
आया वही मधुमय बसंत….
ऋतुराज की आई बहार
प्रफुलित हुई फूलों की डार
सुर-सुंदरी ने की श्रृंगार
झंकृत हुए वीणा के तार,
सुरमय बसंत शुभमय बसंत….
आया वही मधुमय बसंत.
खग की मधुर कलरव की शोर
कितनी सुहानी है ये भोर
बहके कदम मेरी किसकी ओर
खींचे कोई मेरे मन की डोर
रसमय बसंत सुखमय बसंत
आया वही मधुमय बसंत…..