प्रभात काल के
अरुणोदय से
नवयुग का अवतरण
हुआ है
विश्व व्यापी
अभियान चला है
योग दिवस पर युवा जगा है।
निरोग हो काया हो निर्मल तन
यही अलख सब ओर सुना
है
चरित्र चिन्तन को
दिशा मिले
इसीलिए जन योग
चुना है।
दुनिया भर के
लोगों में
खुशियों का संचार हुआ है
पुनर्जागरण की बेला में
सहज आनंद अपार हुआ है।
ज्ञान धर्म भक्ति
का संगम
योग में सारी
तत्व छुपा है
नीरव मन में
उठनेवाले
तूफानों का अंत
हुआ है।
वैदिक युग के
ऋषि-मुनि ने
योगों को अपनाया
था
हो रोगमुक्त-आरोगयुक्त
मानवता को बसाया
था।
अभिलाषा के मृदु भावों से
चित्त की चिंता दूर करें
विश्व योग की
अगवानी में
क्षीण गात को स्वस्थ करें।
चिर सौन्दर्य भरेगा तन-मन
स्फूर्ति वान बनेगा समाज
तरुण किशोर स्वस्थ बनेगा
बाट देखती वसुधा आज।
भारती दास ✍️