गंगा तेरी शरण
में आया
तन-मन-धनसे तुझको
ध्याया
माँ सुन लो मन की
पुकार
बन जाऊँ पी.एम.एक
बार....
तेरे शीतल निर्मल
जल से
पाप-कलंक मैं
धोया मन से
रखता हूँ मैं
स्वच्छ विचार
बन जाऊँ पी.एम.एक
बार ....
करूँ प्रतिज्ञा
वादे और प्रण
जब तक है ये मेरा
जीवन
देश बढेगा सौ-सौ
बार
बन जाऊँ पी.एम.एक
बार ....
मैंने अपना सब
कुछ छोड़ा
जान हथेली पर ले
दौड़ा
आज वक्त की यही
पुकार
बन जाऊँ पी.एम.एक
बार ....
तेरे जल में डूब
मरूँगा
खाली हाथ नहीं
जाऊंगा
यही प्रार्थना
यही गुहार
बन जाऊँ पी.एम.एक
बार ....
चरणों में ये सर झूका
है
अब पीड़ा से मन
थका है
दे-दे मैया
स्नेह-दुलार
बन जाऊँ पी.एम.एक
बार .....
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