Saturday 19 September 2020

गुमराह हो रहा युवा

 

https://vinbharti.blogspot.com/2020/09/blog-post_19.html

धुआं-धुआं हुआ जहां
गली-गली यहां-वहां
नशे में झूमता फिज़ा
विनाश पथ चला युवा.
चुनौतियों से भागता
विकृतियों को थामता
क्षुद्र-स्वार्थ के लिए
अपराध कर रहा युवा.
महत्त्वाकांक्षा की राह में
सफलता की चाह में
होनहार बोधवान
गुनाह कर रहा युवा.
विलासिता में पल  रहा
अश्लीलता में ढल रहा
कुपथ-कुसंग के लिए
विद्रोह कर रहा युवा.
स्वछंदता प्रमुख रही
ममता बिलख रही
घर-समाज के लिए
गुमराह हो रहा युवा.
गुरुर किसको है यहां
कुसूर किसका है कहां
मिथ्या मान के लिए
मदान्ध बन रहा युवा.
भारती दास




 

 

Sunday 13 September 2020

पहचान हिंद की हिंदी है

" अंग्रेजी में ना होगा काम

फिर ना बनेगा देश गुलाम

डॉ लोहिया की थी अभिलाषा

चले देश में देशी भाषा "

सन पैंसठ में लगे थे नारे

उमंग जोश में भरे थे सारे

छात्रों ने की थी आंदोलन

किये प्रयास अनेक परिश्रम

डरी सहमी सरकार हिली थी

अंग्रेजी की विदाई दिखी थी

लोहिया जी का हुआ निधन

कमजोर हुआ जोशीला मन

संविधान से किया मजाक

बनी नहीं हिन्दी बेबाक

उन्नत हिंदी अंगीकार नही था

नेताओं को स्वीकार नही था

अंग्रेजी बन गई उनकी जुबानी

मानसिकता में बस गई गुलामी

पर-भाषा को सिरमौर बताया

निज भाषा को  गैर बनाया

नई पीढ़ी की हिंदी भाषा

शायद ही बन पाये आशा

हुई दुर्दशा हुआ अन्याय

मिली उपेक्षा मिला न न्याय

जन आदर्श हुये हैं जितने

ज्ञान रश्मि फैलाये जिसने

भक्त कवियों ने कही ये बात 

है हिंदी में अपनत्व की बास 

स्वीकार करें मन से ये  भाषा

जिसको  अनपढ़ भी पढ़  पाता

पहचान हिंद की हिंदी है

अभिमान हिंद की हिंदी है.

भारती दास ✍️


Friday 4 September 2020

वे शिक्षक पूर्ण सर्वज्ञ थे

 

महान विल़क्षण राधा-कृष्णन
अप्रतिम योग्यता प्रतिभा संपन्न
थे अध्यापक था उदार अध्यापन
दिव्य थी उनकी विद्या अध्ययन.
न राग न रोष न द्वेष न कुंठन
वे अजातशत्रु थे नहीं था दुश्मन
समस्याओं का करते उन्मूलन
अमूल्य थी उनकी निष्ठा दर्पण.
साहित्य सदा हो सार्थक शिक्षण
संदेश था उनका ज्ञान हो अर्जन
अद्भुत थी उनकी सेवा समर्पण
थे प्रखर मनीषी मुखर अनुगूंजन.
वे शिक्षक पूर्ण सर्वज्ञ थे
वे शुभ चिंतक मर्मज्ञ थे
वे संस्कृति धर्म विशेषज्ञ थे
वे श्रेष्ठ पुरुष बहु विज्ञ थे.
भारती दास