Sunday 13 November 2016

बच्चे चाचा उन्हें बुलाते



इलाहाबाद में जन्म हुआ था
थे कश्मीरी ब्राम्हण परिवार
पिता मोतीलाल थे उनके
स्वरुप रानी से मिला संस्कार.
समय की गति के साथ-साथ
बने यशस्वी और गुणवान
स्वाधीनता संग्राम के योद्धा
कहलाए राजनीतिज्ञ महान.
देश की दुर्दशा देखकर
क्रांति रण में कूद पड़े थे
अत्याचार अनेक सहे थे
अनगिनत ही जेल गए थे.
गाँधी की अनुयायी बनकर
कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे
विदेश नीति के रखकर नींव
लोकप्रिय बेहद हुए थे.
प्रत्येक आखों से आंसू पोछूं
ऐसा ही प्रण वो लिए थे
विषमता का करने को अंत
हर संभव प्रयत्न किये थे.
आधुनिक भारत के वे निर्माता
थे विश्व-शांति के अग्रदूत
पंचशील सिद्धांत बनाकर
बने चिर-स्मरणीय राष्ट्रपूत.
प्रकृति प्रेमी भी बहुत थे
जिन्दादिली थी बेशुमार
बच्चों के संग खुश होते थे
उनसे करते बेहद प्यार.
बच्चे चाचा उन्हें बुलाते
वो हंस देते थे बरबस
नेहरु जी के जन्मदिन ही
कहलाते हैं बाल-दिवस.       

      
        

Saturday 5 November 2016

हे दिनकर हे माता षष्ठी



भोर की ये किरण सुनहरी
करते हैं आरोग्य प्रदान
प्राणतत्व में अपनी ऊष्मा से
भर देते मधुमय सी तान.
जग के नियंता पिता की भांति
बरसाते अपना अनुदान
जीवन पथ का दुर्गम तल
समझाते वे सुबहा-शाम.
रूढि-रीतियां जाति-श्रेणियां
संबंधों में भर कर
ऋतुओं की सुषमा से शोभित
छठ का पर्व है सुन्दर.
देह मन बुद्धि अहं
कुछ भी ना हावी होता
भावना बस पुष्पित होकर
अपनापन ही पाता.
वृक्षों के पत्ते-पत्ते में
प्रेम-प्रकाश भर आता
ऋतुरानी के अनुगुंजन से
मुग्ध ये तन-मन होता.
उषा के संग आते सूर्य
प्रत्युषा के संग में जाते
षष्ठी-माता के संग मिलकर
वरदान अनंत दे जाते.
हे दिनकर हे माता षष्ठी
दूर करो उलझन तमाम
पूर्ण करो अभिलाषा मन की
हे माता हे देव प्रणाम.