Friday 22 January 2016

वो थे एक अनमोल विभूति



साक्षी है इतिहास सदा ही
वे थे एक अनमोल विभूति
उनके पवित्र पावों की धूलि
महसूस हमेशा करती धरती.
वे भारत के अमूल्य निधि थे
भारतीयता थी उनकी पहचान
‘’ जय हिन्द ‘’ का नारा देकर
देशभक्त  वे हुए महान.
‘’ तुम मुझे खून दो
मैं तुमको आजादी दूंगा ‘’
उनकी ओजपूर्ण ये वाणी
तन में जोश भरता ही होगा.
चुनोतियाँ होती है पथ में
सपने भी पुलकित करते हैं
लेकिन अपनी माटी का दुःख
बेचैन ह्रदय को कर देते हैं.
उजियारी की एक किरन
राहें रोशन कर देते हैं
मन के अँधेरे कोने में
प्रकाश दीप जल उठते हैं.
जेलों में ही बीता था
जीवन का इक बड़ा भाग
स्वाधीनता का सजग सिपाही
बन बैठा प्रतिशोध की आग.
तप की सुन्दर पावन भूमि
मांडले की वो जेल बनी
अपनी लगन-मनन-चिंतन से
वो बन गए महा सेनानी.
राष्ट्र शिल्पी कुशल योद्धा
पथ प्रदर्शक थे धैर्यवान
व्यक्तित्व उनका था विलक्षण
साहसी अपार थे शोर्यवान.
विवादों में ही रहा हमेशा
नेताजी के मृत्यु का राज
शायद विमान हादसा में ही
शहीद हुए थे वीर सुभाष.                   

Monday 11 January 2016

मैं व्यक्ति नहीं विचार हूँ



ये लक्ष्यहीन जीना कैसा
जिसमें न हो कोई सपना
विवशतायें मेरी सीख नहीं
तुम धीर मेरे इतना सुनना.
आकुलता-भरी पुकार मेरी
महसूस सदा ही तुम करना
विफलता मुझको स्वीकार नहीं
संघर्ष हमेशा तुम करना.
मैं विवेका हूँ अवतार नहीं
मेरे ख्वाब अधूरे सच करना
मैं व्यक्ति नहीं विचार हूँ
मुझे सद्भावों में भर लेना.
है उपनिषदों का देश मेरा
उन चिंतन को अपना लेना
अपने सुन्दर सद्ग्यानों से
जन-जन को पषित कर देना.
विखंडित करने वालों से
तुम मानवता को बचा लेना
विकृत झंझावातों में भी
इक स्नेह का दीप जला देना.
जाति-धर्म का भेद भुलाकर
लाज राष्ट्र की तुम रखना
करुणा की धारा बहती रहे
उस सुन्दर पथ पर तुम चलना.
भारत का स्वर्णिम युग अतीत
अपने धड़कन में बसा लेना
सन्देश यही आदेश मेरा
तुम कुछ हद तक निभा देना.