Sunday 25 May 2014

काँटों पर चलकर मिली है ताज



गली-गली गावों से गुजरा
शूल भरी राहों से निकला
दोस्तों से भी मिलकर देखा
दुश्मन ने किया अनदेखा
सबने चलाया व्यंग्य का बाण
ह्रदय छलनी हुआ तमाम
एक ही सीख मिली जो सीखा
मेहनत लगन परिश्रम सींचा
दुनिया ने गले लगाया
हर मुश्किल से हमें बचाया
कोई देखे इन आखों से
छलक उठा है मन-.भावों से
अब अलगाव कभी न होगा
बदले का भाव कभी न होगा
इतना आदर इतना अपनापन
सूने मन का वो सूनापन
अब जग की सुन्दरता निराली
मिली सफलता खुशियों वाली
हुई तपस्या सफल मुराद
विधि ने सुन ली सब फरियाद
बहुत ख़ुशी का दिन है आज
            काँटों पर चलकर मिला है ताज.         

Monday 12 May 2014

गंगा तेरी शरण में




गंगा तेरी शरण में आया
तन-मन-धनसे तुझको ध्याया
माँ सुन लो मन की पुकार
बन जाऊँ पी.एम.एक बार....
तेरे शीतल निर्मल जल से
पाप-कलंक मैं धोया मन से
रखता हूँ मैं स्वच्छ विचार
बन जाऊँ पी.एम.एक बार ....
करूँ प्रतिज्ञा वादे और प्रण
जब तक है ये मेरा जीवन
देश बढेगा सौ-सौ बार
बन जाऊँ पी.एम.एक बार ....
मैंने अपना सब कुछ छोड़ा
जान हथेली पर ले दौड़ा
आज वक्त की यही पुकार
बन जाऊँ पी.एम.एक बार ....
तेरे जल में डूब मरूँगा
खाली हाथ नहीं जाऊंगा
यही प्रार्थना यही गुहार
बन जाऊँ पी.एम.एक बार ....
चरणों में ये सर झूका है
अब पीड़ा से मन थका है
दे-दे मैया स्नेह-दुलार
                बन जाऊँ पी.एम.एक बार .....          

Friday 9 May 2014

हमारी माँ



करुणामयी-ममतामयी
सेवामयी कहलाती माँ
आशामयी-श्रद्धामयी
शुभतामयी बन जाती माँ
बलिदानी सा पथ अपनाती
खुशियाँ सदा लुटाती माँ
वेदना की ताप में जलती
आंचल की छाँव बन जाती माँ
त्याग ही बस त्याग करती
स्नेह से लुट जाती माँ
आंच न आये सुत पर उनकी
खुद चट्टान बन जाती माँ
नन्ही सी मुस्कान के खातिर
अपनी जान गंवाती माँ
उसके बच्चे हो सबसे अच्छे
सुन्दर सोच अपनाती माँ
खुद जीवन की सुध न लेती
तप-साधना बन जाती माँ
जब सबल हो जाते बच्चे
दुखदायी बन जाती माँ
बच्चों से जब आश लगाती
तब आखें छलकाती माँ
                         उम्र की एक पराव पर आती    
तब हताश बन जाती माँ
सारा जीवन बोझ ही लगता
जब गैरों सा बन जाती माँ .